कटनी/रीठी: एक ओर जहां केन्द्र व प्रदेश सरकार घर-घर नल योजना का ढिंढोरा पीटकर हर घर में पानी पहुंचाने का दावा कर रही है तो वहीं दूसरी ओर इधर, रीठी जनपद पंचायत मुख्यालय में पेयजल के लिए हा-हाकार मचा हुआ है। रहवासी टेंकरो से खरीद कर पानी पीने मजबूर हैं। रहवासियों को इस भीषण गर्मी में गला तर करने तक को पानी नहीं मिल रहा है और शासन के तमाम दावों की पोल खुल रही है। वहीं जिम्मेदार अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों की मनमानी का खामियाजा रहवासियों को भुगतना पड़ रहा है।
*साइकल में डिब्बे लटकाकर ला रहे पानी*
देखा गया कि ग्राम पंचायत रीठी के वाशिंदे दूर-दूर से साइकिलों में डिब्बे लटकाकर पानी ला रहा है तो कोई टेंकरो से खरीदने मजबूर हैं। उदासीन ग्राम पंचायत की नज-जल योजना भी ठप्प है। बताया गया कि बीते दिनों घनिया रोड की नल-जल योजना भी बंद हो जाने से क्षेत्र की स्थिति गड़बड़ा गई है। यहां मशीन जल गई है, जिसे ग्राम पंचायत द्वारा बनवाया नहीं जा रहा है। लोग रतजगा कर हैंडपंपों से पानी लाने मजबूर हैं।
*जनता हैरान, अधिकारी अनजान*
लिहाजा स्थिति यह है कि अभी गर्मी की शुरुआत ही हुई है और रीठीवासी पेयजल के लिए यहां-वहां भटकने मजबूर हो गए हैं। सबसे अधिक किल्लत मुख्य बाजार, गल्ला मंडी, खेर माई, करियापाथर, न्यू कालोनी, चौधरी मौहल्ला, सहित वार्ड नंबर 04, 06, 14,15 में बनी हुई है। यहां के रहवासी पानी खरीदकर अपनी प्यास बुझाने मजबूर हैं। ग्राम पंचायत की नाकाम व्यवस्थाओं का दंश झेल रहे रहवासियों ने बताया कि उन्हें पीने के लिए पानी नहीं मिल रहा है। किसी तरह टेंकरो से पानी खरीदकर प्यास बुझा रहे हैं। ग्राम पंचायत की नल जल योजना ठप्प पड़ी हुई है। जब जनपद मुख्यालय की यह स्थिति है तो अन्य ग्राम पंचायतों का क्या हाल होगा इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है। इस ओर जनपद पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे हैं। जिसके चलते रहवासियों को पानी के लिए भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
*जल जीवन मिशन का अता-पता नहीं*
केंद्र सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन का पठार क्षेत्र रीठी में कहीं अता-पता तक नहीं है। ठेकेदार द्वारा कहां लाइन बिछाई जा रही है और कहां तक पानी की सप्लाई हो रही है। इसका क्षेत्र में किसी को कोई अता-पता नहीं है। यह योजना भी कागजों में दौड़ रही है। लोगों का कहना है कि तेंदूघाट परियोजना से रीठी मुख्यालय को पानी मिल जाता तो कुछ हद तक समस्या हल हो जाती। लेकिन चल रहे कार्य को देखकर ऐसा लग रहा है कि यह पानी भी रीठी वासियों को नसीब नहीं होगा।
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