गरीब आदिवासी महिला के जान की कीमत 50 हजार

 



कटनी - बड़वारा थाना क्षेत्र के ग्राम भदवार में एक आदिवासी महिला की खदान हादसे में मौत हो गई। ग्रामीणों के अनुसार, यह हादसा खदान में की गई ब्लास्टिंग के कारण हुआ है, जिससे महिला मलबे में दब गई और हॉस्पिटल ले जाने पर महिला को मृत्यु घोषित कर दिया गए ।



घटना के बाद परिजनों और ग्रामीणों में भारी आक्रोश फैल गया। मृतका के परिजनों ने शुक्रवार को बड़वारा मुख्य मार्ग पर शव रखकर चक्का जाम कर दिया। संकल्प शुक्ला की खदान में हुई थी ब्लास्टिंग ।यह विरोध प्रदर्शन लगभग ढाई घंटे तक चला, जिसमें सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।


*ग्रामीणों की प्रमुख मांगें:*  

- मृतका के परिवार को ₹10 लाख का मुआवजा  

- परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी  

- खदान मालिक के खिलाफ FIR  

- खदान की लीज तत्काल रद्द की जाए  


प्रदर्शन के दौरान ग्रामीणों ने प्रशासन को आरोपों से अवगत कराया और तहसीलदार संदीप सिंह को मांगों का ज्ञापन सौंपा। मौके पर बड़वारा थाना प्रभारी के.के. पटेल और नायब तहसीलदार इसरार खान भी पहुंचे और लोगों को समझाने की कोशिश की।


*मुआवजे के नाम पर मात्र ₹50,000*  

इस पूरे घटनाक्रम में सबसे अधिक सवाल खड़े कर रही है खदान प्रबंधन की प्रतिक्रिया। मृतका के परिजनों को मात्र ₹50,000 की आर्थिक सहायता दी गई, जिसे ग्रामीणों ने 'अपमानजनक' और 'न्याय का मज़ाक' करार दिया।


ग्रामीणों का कहना है कि यह कोई साधारण हादसा नहीं, बल्कि लापरवाही और अवैध खनन गतिविधियों का परिणाम है। उनका आरोप है कि खदान में सुरक्षा के कोई पुख्ता इंतज़ाम नहीं थे और प्रशासन आंख मूंदे बैठा है।



*प्रशासन ने शुरू की जांच*  

प्रशासन ने फिलहाल मामले की जांच का आश्वासन दिया है, लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उचित मुआवजा और कार्रवाई नहीं होती, उनका संघर्ष जारी रहेगा।


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*क्या एक गरीब की जान की कीमत सिर्फ ₹50,000 है?*  

यह घटना न सिर्फ प्रशासन और खनन विभाग की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि आदिवासी और गरीब वर्ग के जीवन को अब भी कितनी कम अहमियत दी जाती है।

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