*सागर के लोगों का आतिथ्य भाव, प्रेम भाव और आदर भाव अनूठा है: कर्नल पंकज सिंह*
*श्यामलम् के विदाई और सम्मान समारोह में कर्नल सिंह का अभिनंदन*
न्यूज़ एम पी एक्सप्रेस /सागर :
सागर सदैव मेरी मधुर स्मृतियों में सुरभित रहेगा। यहां का साहित्य सृजन , साहित्यिक संस्थाएं और रचनाकार सभी इतने सहज, सरस, आत्मीय और क्रियाशील हैं कि मन रम जाता है। बुंदेली लोगों का आतिथ्य भाव , प्रेम भाव और आदर भाव सभी अनूठा है। यह उद्गार कर्नल पंकज सिंह ने व्यक्त किए। श्यामलम् संस्था द्वारा आयोजित अपने विदाई और सम्मान समारोह में अपने भावपूर्ण संबोधन में उन्होंने कहा कि मेरे सृजन के लिए सागर अत्यंत उर्वरा भूमि रही है। श्यामलम् संस्था ने मुझे सृजनकार होने का सौभाग्य दिया और इसी शहर से मेरा प्रथम काव्य संग्रह प्रकाशित हुआ। उन्होंने सागर से जुड़े विभिन्न संस्मरण साझा किए।
कार्यक्रम के प्रथम चरण में श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने कहा कि कर्नल पंकज सिंह पर मां भारती और मां सरस्वती दोनों की असीम अनुकंपा है। कवि मुकेश तिवारी ने सुमधुर स्वर में मां वीणा वादिनि की स्तुति प्रस्तुत की। लोक गायक देवीसिंह राजपूत ने विदाई गीत की सुरमई देकर भावविभोर कर दिया। कवि नलिन निर्मल ने कर्नल सिंह पर केंद्रित अभिनंदन पत्र का वाचन किया। साहित्य सरस्वती की संपादक डाॅ. लक्ष्मी पांडेय ने कहा कि कर्नल पंकज सिंह को यह शहर कभी विस्मृत नहीं कर सकता, वह एक साथ कलम और बंदूक दोनों पर समान अधिकार रखते हैं। ऐसा संयोग विरल ही मिलता है।
लोकगायक शिवरतन यादव ने कहा कि हम सभी का सौभाग्य है कि हमें ऐसे सेना के आफिसर का साहचर्य मिला जिनकी रचनाओं में भी देशभक्ति की अनुगूंज है। प्रो. सरोज गुप्ता ने एक वीर रस और देशभक्ति से ओतप्रोत कविता का ओजस्वी वाचन किया। डाॅ. गजाधर सागर ने अपनी एक रचना के माध्यम से विदाई दी। अध्यक्षीय उद्बोधन में इंक मीडिया पत्रकारिता इंस्टीट्यूट के संचालक डाॅ.आशीष द्विवेदी ने कहा कि कर्नल सिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व में अनोखा सम्मोहन है। वे ऐसे रणबांकुरे हैं जिनकी रग- रग में भारत धड़कता है। संचालन कवि और उपन्यासकार प्रदीप पांडेय ने और कृतज्ञता साहित्यकार आर.के. तिवारी ने व्यक्त की।
सागर की साहित्यिक संस्थाओं की ओर से कर्नल पंकज सिंह का शाल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह और विभिन्न उपहारों के साथ अभिनंदन किया गया। जिनमें प्रबुद्ध पाठक मंच से आर.के. तिवारी, बुंदेलखंड विश्वकोश से डाॅ. सरोज गुप्ता, डाॅ. हरिमोहन गुप्ता, तुलसी साहित्य अकादमी से अरुण दुबे, हिंदी साहित्य भारती से अंबिका प्रसाद यादव, विवेकानंद केंद्र से चंद्रप्रकाश शुक्ल, गौरव सिंह राजपूत सहित अभिनंदन दीक्षित,संतोष पाठक, ऊषा वर्मन, अभिनंदन दीक्षित, ममता भूरिया, मनीष दुबे, नरेंद्र पटेल, अर्पित चौबे, शिवकुमार अहिरवार सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी उपस्थित थे ।
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