ओवरलोड ट्रांसपोर्ट वाहनों पर मेहरबान ट्रैफिक विभाग, आम जनता पर सख्ती!
कटनी शहर में दोहरी नीति से उठ रहे सवाल
कटनी/न्यूज़ एम पी एक्सप्रेस:
शहर में यातायात नियमों के पालन को लेकर ट्रैफिक विभाग की सक्रियता ई-रिक्शा, दोपहिया वाहन चालकों और स्कूली ऑटो चालकों पर खूब दिखाई देती है। चालान, जप्ती, और बार-बार की सख्ती से आम नागरिक परेशान हैं। लेकिन जब बात ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े ओवरलोड भारी वाहनों की आती है, तो वही विभाग कहीं नरमी बरतता हुआ नजर आता है।
प्रश्न यह उठता है कि क्या ट्रैफिक नियम सिर्फ आम जनता के लिए ही बनाए गए हैं?
कटनी नगर सहित आसपास के क्षेत्रों में भारी वाहनों की ओवरलोडिंग आम बात हो गई है। ये वाहन न सिर्फ सड़कों की हालत बिगाड़ते हैं, बल्कि दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ाते हैं। इसके बावजूद ट्रैफिक विभाग और इन ट्रांसपोर्ट वाहनों के बीच 'सौहार्द' बना हुआ है, मानो उन्हें शहर में ओवरलोड वाहन चलाने की खुली छूट दे दी गई हो।
वहीं दूसरी ओर, स्कूली बच्चों को ले जाने वाले ऑटो या छोटे वाहन, जिनमें अक्सर नियमों का हल्का उल्लंघन भी हो, उन्हें तात्कालिक चालानी कार्यवाही या जप्ती का सामना करना पड़ता है। ई-रिक्शा और दोपहिया वाहन चालकों पर भी विभाग की नजरें हमेशा टेढ़ी रहती हैं।
इस तरह की पक्षपातपूर्ण नीति से यह स्पष्ट होता है कि विभागीय सख्ती का बोझ केवल आम जनता पर ही डाला जा रहा है, जबकि प्रभावशाली या लाभदायक पक्षों को नियमों से छूट दी जा रही है। इससे न केवल जनता में असंतोष बढ़ रहा है, बल्कि विभाग की निष्पक्षता पर भी सवाल उठने लगे हैं।
क्या कहती है जनता?
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यदि नियम हैं तो सभी के लिए समान रूप से लागू होने चाहिए। ओवरलोडिंग के कारण आए दिन सड़कें क्षतिग्रस्त होती हैं और दुर्घटनाएं होती हैं, लेकिन ट्रैफिक पुलिस आंखें मूंदे रहती है।
ज़रूरत है पारदर्शिता और निष्पक्ष कार्यवाही की
यदि ट्रैफिक विभाग को वास्तव में नियमों के पालन की चिंता है, तो उसे सभी वाहनों – चाहे वह निजी हो या व्यवसायिक – पर समान रूप से सख्ती बरतनी होगी। नियमों की दुहाई केवल आम नागरिकों तक सीमित न रहकर, उन बड़े वाहनों तक भी पहुंचनी चाहिए जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए सड़कों पर दौड़ रहे हैं।
आशीष चौधरी
कटनी -मध्यप्रदेश


Post a Comment