"गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष तू जल्दी आ!" – इसी गूंज के साथ पूरे देश में आज गणेश विसर्जन का पावन पर्व



रिपोर्टर: [हेमंत सिंह]


कटनी /न्यूज़ एम पी एक्सप्रेस: "गणपति बप्पा मोरया, अगले वर्ष तू जल्दी आ!" – इसी गूंज के साथ पूरे देश में आज गणेश विसर्जन का पावन पर्व श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। 10 दिनों तक घरों, पंडालों और समाजों में विराजमान रहे गणपति बाप्पा को आज भक्तों ने पूरे विधि-विधान के साथ विदा किया।


सुबह से ही भक्तजन गणेश प्रतिमाओं के साथ सड़कों पर निकल पड़े। डोल-ताशों, नृत्य और भक्ति गीतों के साथ विसर्जन यात्रा एक उत्सव का रूप ले चुकी थी। विशेषकर महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों में यह पर्व अत्यंत धूमधाम से मनाया गया।


पर्यावरण संरक्षण पर जागरूकता

इस वर्ष कई शहरों में पर्यावरण-संवेदनशील विसर्जन को बढ़ावा दिया गया। प्रशासन और समाजसेवियों ने मिलकर कृत्रिम तालाबों और इको-फ्रेंडली गणेश मूर्तियों का प्रचार किया। कई भक्तों ने अपने घरों में ही विसर्जन कर इस पहल में भाग लिया।


मुंबई के गिरगांव चौपाटी, पुणे का शिवाजी पार्क, और हैदराबाद का हुसैन सागर जैसे प्रमुख स्थलों पर हजारों की भीड़ जमा रही, परंतु प्रशासन ने चाक-चौबंद व्यवस्था बनाए रखी। पुलिस, NDRF, और नगर पालिका के कर्मचारियों की तैनाती से सुरक्षा और सफाई का पूरा ध्यान रखा गया।


धार्मिक आस्था और सामाजिक एकता का प्रतीक

गणेशोत्सव न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि सामाजिक समरसता और एकता का भी प्रतीक है। पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन संध्या, नाट्य मंचन, और सामाजिक संदेशों से भरपूर झांकियों ने पूरे माहौल को सार्थक बनाया।


विदाई में भी उम्मीद की झलक

जैसे ही बप्पा का विसर्जन होता है, भक्तों की आंखें नम हो जाती हैं, परंतु होंठों पर यही विश्वास होता है – "अगले वर्ष तू जल्दी आ!"। यही भारतीय संस्कृति की सुंदरता है – भावनाओं में भी भक्ति, विदाई में भी उत्सव।

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