विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह : एंटीबायोटिक प्रतिरोध पर विशेषज्ञों ने जताई चिंता
कटनी। विश्व एंटीबायोटिक जागरूकता सप्ताह के अवसर पर जिला चिकित्सालय कटनी के सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक डॉ. यशवंत वर्मा ने स्वास्थ्य सेवा से जुड़े संक्रमणों (Healthcare-Associated Infections - HAI) और बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खतरे पर गंभीर चेतावनी जारी की है।
डॉ. वर्मा के अनुसार, लगभग 7 से 18 प्रतिशत रोगी, जो अस्पताल में भर्ती होते हैं या कोई चिकित्सकीय प्रक्रिया करवाते हैं, वे अस्पतालजनित संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। यह संक्रमण न केवल जान के लिए खतरा उत्पन्न करता है, बल्कि लंबी बीमारी, प्रतिरोधक क्षमता में कमी, जटिल शारीरिक समस्याओं और सक्रिय जीवन जीने की क्षमता में गिरावट का कारण भी बनता है।
उन्होंने बताया कि ऐसे संक्रमणों से पीड़ित रोगियों के परिजनों पर अतिरिक्त देखभाल का दबाव, आर्थिक बोझ और मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है। चिकित्सा संस्थान के लिए यह प्रतिष्ठा और आर्थिक दोनों स्तरों पर हानि का कारण बनता है, जबकि राष्ट्र के लिए यह सक्रिय नागरिकों की उत्पादकता में कमी जैसा बड़ा नुकसान है।
डॉ. वर्मा ने कहा कि संक्रमण से लड़ने में एंटीबायोटिक ही प्रमुख हथियार है, लेकिन यदि शरीर इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधक बन जाए तो खतरा कई गुना बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि ऐसे लगभग 15 प्रतिशत मामलों की रिपोर्ट सामने आ रही है। यह चिंता तब और बढ़ जाती है जब यह तथ्य सामने आता है कि वर्ष 2000 के बाद मात्र एक-दो नई एंटीबायोटिक दवाएं ही खोजी गईं हैं, जबकि कोविड-19 के बाद एंटीबायोटिक प्रतिरोध की रफ्तार तीन गुना तेज हो चुकी है।
किन कारणों से बढ़ रहा है संक्रमण?
ऑपरेशन के बाद संक्रमण, शरीर में यूरिनरी कैन्यूला, अन्य ट्यूब डालना तथा वेंटिलेटर के उपयोग के उपरांत संक्रमण – ये सभी HAI के प्रमुख कारण हैं।
समाधान क्या है?
डॉ. वर्मा के अनुसार,
- एंटीबायोटिक का अनियंत्रित और अंधाधुंध उपयोग रोकना
- हाथ धोने की वैज्ञानिक पद्धति का पालन
- उचित विसंक्रमण व्यवस्था
- बायो मेडिकल वेस्ट का सुरक्षित निष्पादन
इन कदमों से संक्रमण और प्रतिरोध दोनों को कम किया जा सकता है।
उन्होंने सभी चिकित्सकों, स्वास्थ्यकर्मियों और नागरिकों से अपील की कि वे इस महत्वपूर्ण विषय पर जागरूकता बढ़ाएं ताकि एंटीबायोटिक प्रतिरोध से उत्पन्न होने वाले संभावित स्वास्थ्य संकट को रोका जा सके। इस मौके पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. मनीष मिश्रा, आरएमओ सहित अन्य डॉक्टर भी उपस्थित रहे।
— 1070 मीट्रिक टन यूरिया की रैक पहुंची।

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