अवैध मुरुम खुदाई का अड्डा बना जरवाही, जिम्मेदारों की मिलीभगत से हो रही सरकारी ज़मीन की लूट

 अवैध मुरुम खुदाई का अड्डा बना जरवाही, जिम्मेदारों की मिलीभगत से हो रही सरकारी ज़मीन की लूट


कटनी (संवाददाता):

कटनी जिले की ग्राम पंचायत जरवाही इन दिनों अवैध मुरुम खनन का गढ़ बनती जा रही है। सरकारी वन भूमि से मुरुम की अवैध खुदाई बेधड़क जारी है, और इस पूरे अवैध कारोबार में प्रशासनिक मिलीभगत की बू साफ तौर पर महसूस की जा सकती है।

जानकारी के अनुसार, कुछ स्थानीय खनन माफिया दिन-रात जेसीबी और डंपरों के जरिए मुरुम की खुदाई कर रहे हैं। यह सब न केवल पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा है, बल्कि शासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान भी पहुंचा रहा है।


सबसे हैरानी की बात यह है कि जरवाही के नज़दीक ही निवार पुलिस चौकी स्थित है, लेकिन फिर भी इस गैरकानूनी गतिविधि पर न तो कोई रोक है और न ही कोई कार्रवाई। खनिज विभाग और वन विभाग की चुप्पी कई सवाल खड़े करती है। क्या यह चुप्पी मिलीभगत का संकेत नहीं है?


प्रशासनिक चुप्पी बनी खनन माफिया की ढाल


स्थानीय सूत्रों का कहना है कि इस गोरखधंधे में कुछ शासकीय पदों पर बैठे अधिकारियों की सहमति और संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि शिकायतों के बावजूद अब तक किसी के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।


क्षेत्र के जागरूक नागरिकों ने कई बार इस मामले की शिकायत उच्च अधिकारियों से की, लेकिन हर बार मामले को टाल दिया गया। इससे साफ है कि जिम्मेदार विभागों की अनदेखी से माफियाओं के हौसले लगातार बढ़ते जा रहे हैं।


प्राकृतिक संसाधनों का हो रहा दोहन, समय रहते कार्रवाई ज़रूरी


मुरुम जैसी प्राकृतिक संपदा का इस तरह से अवैध दोहन भविष्य के लिए एक बड़ा संकट बन सकता है। पर्यावरणीय असंतुलन, मिट्टी का कटाव और जल स्रोतों पर दुष्प्रभाव जैसे परिणाम सामने आ सकते हैं।


यदि समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो यह अवैध खनन माफिया और भी ताक़तवर होकर क्षेत्र की अन्य ज़मीनों को भी निशाना बना सकता है।


जनता की माँग: हो सख़्त कार्रवाई


जरवाही के ग्रामीणों और पर्यावरण प्रेमियों की मांग है कि इस अवैध गतिविधि पर तुरंत रोक लगाई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। साथ ही जो अधिकारी इस लूट के दौरान मौन साधे हुए हैं, उनकी भूमिका की भी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।

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