माधव नगर थाने के पीछे चल रहे आवेध उतखन्न पर एडिशनल एस.पी. श्री डेहरिया दी जानकारी

 



कटनी/न्यूज़ एम पी एक्सप्रेस /हेमंत सिंह : जिले के माधव नगर थाना क्षेत्र के ठीक पीछे मौजूद एक खदान कहने को तो वर्षों से दस्तावेजों में बंद है, लेकिन आधी रात के बाद यहां पर गरजती जेसीबी मशीने और ट्रकों की आवाज़ आसपास रहने वालों के लिए सर दर्द बन चुकी है। अवैध उत्खनन स्थल का जो नजारा आज कैमरे में कैद हुआ उसे देखकर यहां हो रहे उत्खनन की पूरी कहानी उभर कर सामने आ गई। यहां मौजूद बॉक्साइट के बड़े-बड़े टीले अवैध उत्खनन करने वालों ने मशीनों के जरिए काट कर चोरी कर लिए। थाने से कुछ दूर हो रहे इस अवैध उत्खनन की जानकारी आखिर किसी को क्यों नहीं लगी यह बात समझ से परे है। थाने के पास ही मौजूद पुलिस क्वार्टर और कॉलोनी के रहवासियों की माने तो आधी रात के बाद बड़ी-बड़ी मशीनों की आवाज से उनकी नींद खलल में पड़ जाती है, लेकिन ताज्जुब तो इस बात का है कि यह आवाज थाने में बैठे अधिकारियों कर्मचारियों और खनिज विभाग के जिम्मेदारों तक क्यों नहीं पहुंच पा रही। कहने को तो खनिज विभाग और राजस्व विभाग की टीम ने यहां पर जांच कार्यवाही की, लेकिन उनकी जांच में खनन करने वाले पकड़े ही नहीं गए। आखिर पकड़े जाएं भी तो कैसे टीम के आने से पहले ही, खनन कर्ताओं के पास टीम के आने की खबर जो पहुंच जाती है। अब इस बात से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि आखिर रात के बाद बॉक्साइट का अवैध उत्खनन करने वालों की साठगांठ किस स्तर तक है।





बड़े पैमाने पर हो चुका खनन

खनन स्थल का जो वीडियो सामने आया है, उस वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कितने बड़े पैमाने पर यहां अवैध रूप से बॉक्साइट का खनन किया गया है। आधी रात के बाद गरजती जेसीबी और दौड़ते बड़े-बड़े डंपर हर दिन लाखों रुपए का बॉक्साइट चोरी करके रफू चक्कर हो जाते हैं। अवैध उत्खनन पर अंकुश न लग पाने के पीछे जिम्मेदारों और अवैध उत्खनन करने वालों के गठजोड़ की चर्चाएं भी सुनी जा रही हैं। जब भी यह खबर मीडिया में आती है तो एक-दो दिनों के लिए काम को रोक दिया जाता है, लेकिन मामला ठंडा होते ही दोबारा फिर से यहां पर गोरख धंधा शुरू हो जाता है। 

सफेद पोशों से मजबूत पकड़

कहा तो यह भी जा रहा है कि माधव नगर के ठीक पीछे स्थित बंद खदान में अवैध उत्खनन करने वालों की पकड़ राजनैतिक तौर पर भी बेहद मजबूत है। यही कारण है कि अधिकारी भी यहां हाथ डालने से कतराते हैं। इसी बात का फायदा उठाकर खनिज माफिया अपने मंसूबों को बड़े आराम से अंजाम देते रहते हैं।

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